The Basic Principles Of Shiv chaisa
The Basic Principles Of Shiv chaisa
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धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं। शारद नारद शीश नवावैं॥
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।
जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी। नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन shiv chalisa in hindi खानी॥
ईश्वर ने मेरे भाग्य में क्या लिखा है - प्रेरक कहानी
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥ तुरत षडानन more info आप पठायउ ।
धन निर्धन को देत सदाहीं। जो कोई जांचे वो फल पाहीं॥
सांचों थारो नाम हैं सांचों दरबार हैं - भजन